नमस्ते दोस्तो मेरा नाम है रोहन और ये कहानी मुझे दीपक ने भेजी है तो दीपक कहते है।रात के 9बजे मैं अपने ऑफिस से घर आया। मैने अपने कमरे में जाते वक्त अपने पिता जी के कमरे में देखा। तो पिता जी आराम कुर्सी में गाना सुनते हुए झूल रहे थे। मैंने उनके चेहरे की तरफ देखा तो उनके चेहरे में मुस्कान थी। और यह देख कर मैं भी खुश हो गया क्युकी दो महीने पहले मैरी मां का देहांत हो गया था।
तब से पिता जी काफी अकेला पन मसूस कर रहे थे। मैं उन्हे देखकर अपने कमरे में गया। और ये बात मैने अपनी बीवी को बताई । तो मेरी बीवी ने बताया कि पिता जी उनके जन्मदिन से ही कुर्सी पर बैठ कर गाना सुनते हुए अकेले ही मुस्कुराते है।
खैर उस रात पिता जी को खुश देखकर मुझे चैन की नींद आई। लेकिन सुबह जैसे ही मैं उठा। मैने अपनी बीवी की चीख सुनी । उसकी आवाज मेरे पिता जी के कमरे से आ रही थी। मैं भाग कर वहा गया।
"पिता जी के कमरे में क्या हुआ?"
और जब पिता जी के कमरे में गया तो सामने का नजारा देखकर मैं रो पड़ा। क्युकी पिता जी ने पंखे में खुद से खुद को लटका कर खुदकुशी कर ली थी। हमे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि उन्होंने खुदकुशी क्यों की। क्योंकि इन दिनों तो पिता जी बहुत खुश थे। फिर हमे लगा की पिता जी मेरी मां के देहांत के बाद से पिता जी अकेले पड़ गए थे और डिप्रेशन में आकर उन्होंने खुदकुशी कर ली होगी। उनके देहांत के बाद हमने उनका कमरा बंद करा दिया। एक रात जब मैं ऑफिस से घर आया ।
तो मैंने देखा मेरी पत्नी मेरे पिता जी की कुर्सी में आराम से झूल रही थी। मैंने उसे खाना लगाने के लिए बोला तो वो बोली की तुम खुद ही लगवा लो । पहली बार मेरी बीवी ने मुझसे ऐसी बात की। खैर मैंने खाना खाया। और अपने बेडरूम में सोने आ गया तो देखा कि मेरी बीवी उसी कुर्सी में सो गई थी। उस दिन से मैं जब भी ऑफिस से घर आता तो मेरी बीवी मुझे उसी कुर्सी में मुझे झूलती हुई दिखाईं देती थी। उसे उस पर झूलने की बुरी लत लग चुकी थी । और दिन भर उसी कुर्सी में झूलती थी। और अक्सर रात भर उसी कुर्सी में सो जाती थी। इसी वजह से मेरा उससे कई बार झगड़ा भी हो गया था।
" एक रात "
एक रात जब मैं ऑफिस से घर आया। तो मेरी बीवी हर रोज की तरह उसी कुर्सी में झूलती हुई दिखाई दी। वह झूलते हुए गाना गा रही थी। वह गाना था जीना यहां मरना यहा इसके सिवा जाना कहा। जी चाहे जो हमको आवाज दो। हम थे वही हम है जहा।
मैं हर रोज की तरह खाना खाने गया। तो मेरी बीवी ने आज इतने दिनो बाद मेरे लिए पहले से ही डाइनिंग टेबल पर खाना लगा के रख दिया था। मैं खाना खा के जब लोटा तो मेरी बीवी उस दिन बहुत खुश दिखाई दी वह मुस्कुराते हुए। रोमांटिक गाने गा रही थी।
'जी चाहे जो हमको आवाज दो। इसके सिवा अब हम जाए कहा हम है वही हम थे जहा।
उस din इतने दिनो बाद वो कुर्सी में न सोते हुए मेरे साथ बेड पे सो गई । उसे उस कुर्सी से दूर देख कर मुझे भी उस दिन बहुत खुशी हुई और मैं सो गया।
" सुबह होने पे क्या हुआ?"
जब मैं सुबह उठा तो देखा कि मेरी बीवी बेड पे नही थी। मैं उठ गया और मेरी नजर पंखे पर गई। और मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मैं फूट फूट कर रोने लगा।
क्योंकि पंखे से मेरी बीवी की लाश लटक रही थी। उसने खुद को फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली थी। मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था की आखिर उसने खुदकुशी क्यों की। क्योंकि सब कुछ तो ठीक ठाक ही चल रहा था। और एक रात पहले तो बहुत खुश थी और उसने मेरे साथ हस कर बाते भी की थी। उसे मुझसे कोई भी शिकायत पन नही थी। और न ही जाते वक्त कोई भी सुसाइड नोट छोड़कर कर गई थी। जिससे मुझे पता चले की वो किस बात से दुखी थी।
"मेरी बीवी के जाने के बाद"
मेरी बीवी के जाने के बाद मैं बेहद दुख में था। अब घर में मैं बस अकेला बचा हुआ था।
मां,पिता जी और मेरी बीवी तीनो चल बसे थे। और ऊपर से कॉलोनी वाले और रिश्तेदार तरह तरह की बाते बना रहे थे। की मेरी बीवी मेरे पिता जी से अच्छा सुलुख नही करती थी। वो उनके साथ बुरा बर्ताव करती थी और मेरे बीवी से तंग आकर मेरे पिता जी ने खुदकुशी कर ली थी। और मरने के बाद वो बदला लेने के लिए उनकी आत्मा ने मेरी बीवी को मार डाला। लेकिन मैं ये जनता था की ये सब बिल्कुल भी सच नही था। क्युकी मेरी बीवी मेरे पिता जी को अपने पिता जी समान मानती थी। और उनकी बहुत अच्छे से देखभाल करती थी। मैं रात को बेड पर लेटा हुआ था। रात के 1:30 बज रहे थे। और मुझे नींद ही नहीं आ रही थी लेकिन कुछ देर मैं मां पिता जी और मेरी बीवी की याद में रोते हुए मेंरी आंख कब लग गई ये मुझे पता ही नही चला । कुछ देर बाद आराम कुर्सी के झूलने की आवाज से मेरी नींद खुली तो मैं देखा की मैं अपने कमरे में नही था ।
नही मैं अपने कमरे के किसी और कमरे में था। और उस कमरे में मुझे मेरे पिता जी की आराम कुर्सी मुझे दिखाई दी। उस कुर्सी पर कोई अंजान बूढ़ी औरत आंख बंद करके झूल रही थी । उसके चेहरे मुस्कान थी।
वो झूलने का आनंद ले रही थी तभी उस कमरे में एक जवान औरत आई उसने कहा।
उस औरत ने बड़े ही गुस्से में चिल्लाकर उस बूढ़ी औरत से कहा: उसने कहा की की क्यों री बुढ़िया दिनभर इसी कमरे में झूलती रहेगी। बर्तन क्या तेरा बाप मांजेगा ।
बूढ़ी औरत ने कहा: मैं बस थोड़ी देर में आने ही वाली थी बहु।
बहु ने कहा: कब आने वाली थी महारानी । तू बैठी बैठी तू खा खाकर मोटी हो जा रही है और मैं घर का काम कर करके मरी जा रही हूं। चल उठ अभी के अभी।
ऐसा कहकर उसने उस बूढ़ी औरत का हाथ पकड़कर उसको कमरे से घसीटकर बाहर की ओर लेजाने लगी
लेकिन तभी उस बूढ़ी औरत ने उसकी बहू को कमरे से बाहर की ओर धकेला और अंदर से गेट बंद कर दिया। उसके बाद वह अकेले बैठ कर रोने लगी। उसकी हालत देख कर मेरे भी आंखो में आंसू आने लगे।
तभी वो बुढ़िया उठी उसने अलमारी से साड़ी निकाली । और वो टेबल पे चढ़ गई मैं समझ गया कि अब वो खुदकुशी करने जा रही है। मैने बेड से उठने की कोशिश की लेकिन मैं हिल भी नहीं पा रहा था और न ही मेरी मुंह से आवाज निकल पा रही थी। उस बूढ़ी औरत से अपनी साड़ी से फंदा बनाया और उसने खुद को फांसी लगाई।
वो मेरी आंखो के सामने अपने हाथ हिलाते हुए तड़प रही थी। तभी मेरी आंख खुली तभी मैंने देखा कि वो तो मेरा बस एक सपना था मैंने दूसरे कमरे में जाकर आराम कुर्सी की तरफ देखा तो वो अपने आप हिल रही थी ऐसा लग रहा था की मानो उस पर कोई झूल रहा है और मुझे उस पर बैठने के लिए बुला रहा है। फिर मैं समझ गया कि वो कुर्सी भूतिया है और उसी कुर्सी की वजह से मेरे पिता जी और मेरी बीवी ने खुदकुसी की थी। वो कुर्सी मैने और मेरी बीवी ने पिता जी को उनके जन्मदिन पर दी थी। वैसे मां की मौत की वजह से हमने जन्मदिन भी मनाया था। लेकिन हमने वो कुर्सी ऐसे ही गिफ्ट कर दी थी।
"दूसरे दिन"
दूसरी सुबह मैं उस फर्नीचर की दुकान पर गया । जहा से मैने वो कुर्सी खरीदी थी। तब मैंने उनसे कुर्सी के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्होंने वह कुर्सी मेरे ही एक दोस्त से खरीदी थी जो उनकी मां की कुर्सी थी। जिसकी मौत हो चुकी थी।
उसने मुझे यह भी बताया कि वो बुढ़िया बुढ़ापे की वजह से सटिया गई थी और इसी पागलपन के कारण उसने खुद को फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी लेकिन मैं जानता था । की वो बूढ़ी औरत पागल नही थी। और उसने पागल पन में खुदकुशी नही की थी।
उसकी मौत का जिम्मेदार उसकी बहू और बेटा दोनो थे। और मैं जानता था कि उस कुर्सी को इस्तेमाल कटना यहा खतरे से खाली नहीं है।
इसलिए मैने उस कुर्सी को आंगन में मिट्टी का तेल डालकर जला दी। उसके बाद सारी चीजे ठीक हो गई थी।
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